चन्द्रयान-3 कब लैंड होगा – चन्द्रयान-3 की क्या है खासियत?


चंद्रयान-3 की लैंडिंग कहां होगी?


इसरो ने चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित लेडिंग क्षेत्र का है मह लेंडर को चाद के दक्षिणी ध्रुव पर 70 डिग्री लेटीट्यूड पर उतारेगा, जहाँ आज तक कोई यान नहीं उतरा है. इससे पहले चीन ने 45 डिग्री लेटीट्यूड पर अपना लेंडर उतारा था.

अब तक अन्य देश चंद्रमा की मध्य रेखा पर ही अपने यान उतारे हैं, क्योंकि वहा की सतह समतल है. दुनिया का चौथा देश इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकेप्सुलेटेड असेंबली को एलबीएम के साथ जोड़ा गया.

यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट सीडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा. पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन बोले- भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान- 3 निश्चित रूप से भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगा और मुझे उम्मीद है कि यह सफल होगा. भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा.


मिशन चंद्रयान-3 की खासियत


चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लेंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है. इसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है, लेंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी, जो चलने के दौरान चंद्र सतह का इन सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा, चंद्रयान- 3 एक अंतरिक्ष यान है, जो चंद्रयान-2 का फॉलो ऑन मिशन यानी अनुवर्ती अभियान है, दूसरे शब्दों में कहें, तो चंद्रयान- 3, चंद्रयान-2 के बाद का अभियान है जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और शेविंग की अपनी क्षमता प्रदर्शित करेगा और चंद्रमा की सतह से जुड़ी तमाम वैज्ञानिक जानकारियां जुटायेगा.


इसरो का भविष्य इसरो प्रमुख ने बताया कि अगर यह मिशन सफल होता है तो चंद्रमा पर होने वाली अगले मिशन की नींव पड़ेगी. उन्होंने बताया कि भारत जापान के साथ मिलकर अगला मून प्रोजेक्ट तैयार करेगा, उन्होंने कहा कि अगले मून मिशन के लिए इसरो और जापान ऐरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के बीच में बातचीत चल रही है, जल्द ही इसके बारे में जानकारी साझा की जाएगी. चंद्रयान-2 से ऐसे अलग है चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था, जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉडयूल शामिल किया गया है. हालांकि जरूरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा, यह कम्यूनिकेशन के लिए है.


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चंद्रयान-3 की लैंडिंग कब होगी—-

आज चंद्रयान-3 दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. इसरो द्वारा शुक्रवार को चंद्रयान-3 को लांच किया जाएगा. पूरे देश को इसका बेसब्री से इंतजार है.!


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